Born
October 22nd, 1942
Passed Away
June 15th, 2016
Occupation
Business
Spouse
Kanta Devi
Religion
Hindu
Caste
Gupta
Subcaste
goel
Native
Kasan, Manesar, Gurugram, Haryana
City
Delhi
State
Delhi
Country
India
पिता ही धर्म है, पिता ही स्वर्ग है
पिता ही परम तप है
पितृभक्ति हर भक्ति में श्रेष्ठ है
पितृभक्ति देवताओ को भी प्रिय है
शास्त्र में कहा गया यह विधान हमारे जीवन का मर्म है
स्वर्ग की प्राप्ति धर्म से होती है, तप से होती है
परंतु हमारे लिए हमारी पितृभक्ति ही हर भक्ति में श्रेष्ठ है
Shradhanjali By
Ajay, Veena, Udant, Shreya
Biography of Shri Diwan Chand Gupta
स्वर्गीय श्री दीवान चंद गुप्ता जी का जन्म कासन गाँव, जिला मानेसर, गुरुग्राम में 22 अक्टूबर 1942 को स्वर्गीय लाला धूमीमल अग्रवाल तथा माता स्वर्गीय श्रीमती रामकली देवी के घर हुआ। तत्पश्चात परिवार दिल्ली में रूप नगर में आ गया। इनकी प्रारम्भिक शिक्षा बिरला हाई स्कूल, कमला नगर, दिल्ली में हुई। इनके ४ भाई है, सुरेश चंद गुप्ता, राम प्रकाश गुप्ता, बाल किशन गुप्ता और विजय कुमार गुप्ता। तथा २ बहने सुशीला और कमलेश। विवाह कान्ता देवी के साथ ११ जुलाई को हुआ।
पढाई पूरी करने के बाद इन्होनें परिवार का पुस्तक प्रकाशन का बिज़नेस ज्वाइन किया तथा शुरुआत में "हिन्द पुस्तक भंडार", "खारी बावली", दिल्ली-९ का पूरा कार्यभार संभाला तथा "देहाती पुस्तक भंडार, चावड़ी बाज़ार, दिल्ली का सम्पूर्ण कार्यभार भी संभाला। सभी प्रकार की टेक्निकल, धार्मिक, सेल्फ इम्प्रूवमेंट जैसी पुस्तकों का कुशलता पूर्वक प्रकाशन किया तथा अपने प्रकाशन संस्था का पूरे विश्व में नाम ऊंचा किया।
वक़्त की ज़रूरत के अनुसार इन्होनें अपना स्वयं का बिज़नेस शुरू किया । "स्मॉल इंडस्ट्री रिसर्च इंस्टिट्यूट, रूप नगर, दिल्ली में टेक्निकल कंसल्टेंसी व टेक्नॉलजी बुक्स के क्षेत्र में बहुत नाम कमाया। साथ ही विशाल पुस्तक भंडार, नई सड़क, दिल्ली पर अपना विभिन्न प्रकार की पुस्तकों का कुशलता पूर्वक कार्य किया ।
स्वभाव के नरम,
जीवन का मूल मंत्र:
मन के जीते जीत है:
मन के हारे हार है:
इनके तीन पुत्र व पुत्रवधू है:
1. अरुण कुमार - वंदना (बच्चे: अमीषा, ईशा, शुभम)
2. सुधीर कुमार - अलका (बच्चे: अंकुर, आंचल)
3. अजय कुमार - वीना (बच्चे: श्रेया, उदन्त (किशु))
तीनों ही अपने अपने बिज़नेस को सँभालते हैं और सफल जीवन व्यतीत कर रहे हैं ।
अयुक्तः कामकारेण फले सक्तो निबध्यते ॥
आपकी कमी खलती है मुझे ये खालीपन तड़पाता है,
बस यूँ ही यादें दिल में समेटे ये वक़्त गुजरता जाता है।
अब पता चलता है कि जिम्मेवारियों का बोझ कितना भारी है,
खुद से ज्यादा अपनों की खुशियाँ प्यारी हैं,
दौड़ाने पड़ते हैं कदम पकड़ने को जिंदगी कि रफ़्तार,
आज गुजर रहा है और कल की तैयारी है।
आपकी मजबूरियों का मुझे अब एहसास होता है
दुनिया होती है मतलबी और घर का हर शख्स ख़ास होता है
माँ के बाद पिता ही समझता है ख़ामोशी औलादों की
मुश्किलों से बचाने के लिए पिता हिम्मत की दीवार होता है।
हर डांट में प्यार जो रहता था वो याद बहुत अब आता है
हर बीता लम्हा अब तो बस आँखों में आंसू लाता है
तस्वीर बसी है दिल में जो जीने का हौसला देती है
इसी तरह से बस अब तो ये वक़्त गुजरता जाता है।
आपकी कमी खलती है मुझे ये खालीपन तड़पाता है,
बस यूँ ही यादें दिल में समेटे ये वक़्त गुजरता जाता है।
-अजय गुप्ता (पुत्र)
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Ajay Kumar Gupta
3 weeks ago
स्वर्ग से आप देख रहे होंगे
हमारी हर खुशी, हर गम
आपकी यादें हैं अनमोल
भरी हुई हैं जीवन में हर दम
आपके आशीर्वाद की छाया में
हम आगे बढ़ते जा रहे हैं
जन्मदिन पर आपको याद कर
नम आंखों से मुस्कुराते जा रहे हैं
जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ पापा!
स्वर्ग से आप देख रहे होंगे
हमारी हर खुशी, हर गम
आपकी यादें हैं अनमोल
भरी हुई हैं जीवन में हर दम
आपके आशीर्वाद की छाया में
हम आगे बढ़ते जा रहे हैं
जन्मदिन पर आपको याद कर
नम आंखों से मुस्कुराते जा रहे हैं
जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ पापा!
Ajay Kumar Gupta
2 years ago
Ankur Gupta
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Ankur Gupta
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Somya
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